Bandwala

कौन हूँ मैं ? मेरा क्या वजूद है ? सही मैं इस दुनिया में रहेने के काबिल हूँ ? इस समाज को मेरी ज़रूरत है ? या एक ना चाहते हुए दुनिया का एक बोज ? 

कहते है , मंगल स्वर कान में घूमे तो अच्छा लगता है । शादी में बैंड नहीं तो शादी नहीं ! दोस्त बोलते है शादी कैसे भी करना लेकिन नाचने के लिए बैंड ज़ोरदार चाहिये । लेकिन कभी सोचा है? ये बैंड वाला है कौन ? 

मैं हूँ ये ' बैंड वाला ' ! एक गुमनाम हस्ती ! एक ऐसी शख़्सियत जिसे ना दाम मिला ना नाम ! मिला तो सिर्फ़ फेंका हुआ पैसा ! 

एक संगीतकार से कम नहीं है हम ! बस हालात के मारे हैं ! इसमें गलती भी है हमारी , हमने ना जाना वक़्त की नज़ाकत को नहीं हमनें जाना दुनिया के इस नए दौर को ! 

शादी में बजाने जाना है ! मालिक / मुकदम ने बोल दिया ! इसके ऊपर हमने कभी सोचा नहीं ! 

लॉकडाउन में इस छोटेसे दिमाग़ की बत्ती जली , खाने के निवाले कम हो रहे थे ! बीमारी का ख़ौफ़ इस कदर फैल रहा था की लग रहा था की कल देख पाऊँ की  नहीं समझ में नहीं आ रहा था ! सोचा मैं इस बिरादरी की काबिल हूँ ? क्यूँकि किसिको कुछ फ़रक नहीं पड रहा था . अंदर से आवाज़ आयी , हाँ आप हो इसलिए धूमधाम से होतीं है  शादियाँ ! आपके ना हो तो ना नाचते है बाराती ना ही नाचती है घोड़ी ! रौनक़ आती है हमारे ढोल नगाड़ों से वरना शादी….. ? शादी कम सम्मेलन ज़्यादा लगता ! समय थमा तब जाके लगा , हमारे बग़ैर ना शादियाँ हुई , ना ही होगी .. नाचते गाते लोग शांत हो गए ।  कही सब्ज़ी बेची कही फल .... शादियाँ तो शुरू हो गयी मगर अभी तो बिना सुर के। .. फिर एक दिन मालिक का आदमी आया , बोला कल शादी बजानी है , मनों सोना मिल गया , अंदर रखा हुआ ट्रम्पेट निकला , पानी भरा , और फूंक मारी , क़सम से ऐसे लगा ज़िंदगी मिली । ऐसा लगा १५ महीने से सो रहा था , या ऐसा समझो बेहोश था । 

वो उँगली में कुछ मशीन डालते है ना ऑक्सिजन देखने के लिए ! वो ऑक्सिजन मेरे ट्रम्पेट से बध गया । फिर पता लगा .. भले ही १ घंटे से भी कम समय होते है हम शादी में लेकिन हमारे बग़ैर शादी क्या शादी ?
“ आज मेरे यार की शादी है “ 
“ ये देश है वीर जवानों का “ 
“मूँगड़ा” 
“ झींगाट” ये सब गूंजने लगे 
चाचा , चाची , बुआ , फूफा , भई , बहन , जीजा , साली और दोस्त , इनके पैर थिरकने लगे और फेंके हुए नहीं तो सम्मान से मिले हुए पैसे वो भी UPI पेमेंट से मिले , और सुकून हुआ । हमारा वजूद है लोगों कि शादी में । आज लगा हम बोज नहीं क्यूँकि जब लोग हमारी धुन पे नाचते है तो लोगों का बोज हल्का होते देख आँखो से ख़ुशी के आंसू नहीं रुकते । 

और फिर निकलती आशीर्वाद रूपी धुन मेरे ट्रम्पेट से .. “ बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है मेरा महबूब आया है । “ 
और 
“ दुआ है मेरे मन की सलामत रहे तेरी जोड़ी” 

हम है तो जहाँ है ! 
#EventWritesbyRVB©️

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